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समय का प्रबंधन करो समय जीवन का प्रबंध करेगा : पंडित कैलाशचंद्र डोंगरे

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समय का प्रबंधन करो समय जीवन का प्रबंध करेगा : पंडित कैलाशचंद्र डोंगरे

दृढ़ इच्छाशक्ति से प्रभु को भी प्राप्त कर सकते हैं
– श्री राधारमन मानव सेवा समिति द्वारा आयोजित शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ का पांचवां दिन

खंडवा। जीवन में समय का सबसे बड़ा महत्व होता है। जिस प्रकार दिन और रात के सभी पहर का अपना महत्व होता है वैसे मनुष्य के जीवन में हर पहर में अपने दायित्व का महत्व है।समय, जीवन का एक अहम संसाधन है. समय का सही इस्तेमाल करने से हम सफलता की ओर बढ़ सकते हैं. समय को सही तरीके से इस्तेमाल करने से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.
यह बात पंडित कैलाशचंद्र डोंगरे ने कैलाश नगर में चल रही शिव महापुराव कथा के पांचवें दिन कथा वाचन के दौरान कही। उन्होंने कहा हिंदू धर्म में, 24 घंटे के दिन को आठ प्रहरों में बांटा गया है. हर प्रहर का अपना एक महत्व होता है. इन प्रहरों में पूजा-पाठ, शिशु के जन्म, और अन्य काम किए जाते हैं ।एक प्रहर करीब तीन घंटे का होता है।
दिन में चार और रात में चार प्रहर होते हैं। हर प्रहर का धार्मिक महत्व होता है। जो लोग प्रहर का ध्यान रखते हैं, उनके कामों में विघ्न नहीं पड़ता। वैष्णव मंदिरों में आठ प्रहर की पूजा होती है, जिसे ‘अष्टयाम’ कहते हैं। ब्रह्म मुहूर्त को रात्रि का आखिरी पहर माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है,
समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि सती कथा के प्रसंग का वाचन करते हुए पंडित श्री डोंगरे जी ने विस्तार से बताया कि रात्रि के समय शाम 6 से 9 बजे तक का पहर रुद्रकाल कहलाता है इसमें देवता लोग स्वयं शिव विचरण करते है। रात्रि 9 से 12 का समय राक्षस काल कहलाता है। इस समय जो वर्जित कार्य है वह राक्षस की भांति होते है। जैसे खाना खाना, अन्य व्यसन करना आदि। उन्होंने कहा सूर्यास्त पश्चात पक्षी भी भोजन नहीं करते। रात्रि 12 से 3 बजे का समय गंधर्व काल कहलाता है। इसमें देवता ध्यान करते है सृष्टि का चिंतन करते है । रात्रि 3 से प्रातः6 बजे का प्रहर मनोहर काल या अमृत बेला काल कहलाता है। इस काल में जिसका स्नान हो जाता है और ध्यान पूजन होता है वहां सुख शांति आरोग्यता रहती है। पंडित जी ने कहा कथा श्रवण कर अच्छी बातों को धारण करे और मनन करें कथा में केवल सुनने या प्रसाद खाकर जाने से नहीं बल्कि उसका मर्म धारण करे तो जीवन धन्य होगा। कथा के पांचवें दिन सती कथा प्रसंग का वृतांत सुनाया गया। सुनील जैन ने बताया कि शिव पुराण कथा में नावघाट खेड़ी घाट से आए संतों ब्राह्मणों का स्वागत सम्मान किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में आई महिला शक्ति ने भी पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर पुण्य लाभ लिया।

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